Saturday, October 25, 2014

Report from the Ground Trilokpuri Delhi 26.10.2014 Shahnawaz Mallik

Report from the Ground Trilokpuri Delhi
26.10.2014
नई दिल्ली। मयूर विहार से सटा त्रिलोकपुरी दिल्ली की मिली-जुली आबादी वाला इलाका है। सांप्रदायिक तनाव की चपेट में आने से पहले यह इलाका बीते साल असेंबली इलेक्शन के वक्त सुर्ख़ियों में आया था जब यहां के बाशिदों ने आम आदमी पार्टी के टिकट पर खड़े हुए राजू धिंगान को जीत का सेहरा पहनाया था। खेल गांव में चल रही वोटों की गिनती के वक्त राजू वहां मौजूद थे और बीजेपी उम्मीदवार सुनील कुमार को तकरीबन 20 हजार वोटों से शिकस्त देने के बाद अपना काफिला लेकर त्रिलोकपुरी पहुंचे थे। यहां सर्मथकों ने राजू को अपने कंधे पर बिठाकर घुमाया था। राजू दलित हैं और सीआईएसएफ की नौकरी छोड़कर राजनीति में बदलाव के लिए दाखिल हुए थे। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान में अपने शपथग्रहण के दौरान सभी विधायकों और वहां मौजूद हजारों समर्थकों के साथ एक गीत गुनगुनाया था- इंसान का हो इंसान से भाईचारा, यही पैगाम हमारा। लेकिन यह पैगाम कहीं बीच में अटक गया। त्रिलोकपुरी की शांति को किसी की नजर लग गई और यह सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में आ गया।
यह भूमिका इसलिए जरूरी थी क्योंकि त्रिलोकपुरी में सांप्रदायिक हिंसा अचानक नहीं हुई है। इसे टाला जा सकता था लेकिन अब यहां नफ़रत की देग चढ़ चुकी है। हिंदू-मुसलमानों की बीच पनपा बैर आगे और भी भयानक हो सकता है। जाहिर है इसके लिए एमएलए राजू और उनकी पूरी पार्टी जवाबदेह है। त्रिलोकपुरी से ही सटी हुई पटपड़गंज असेंबली सीट भी है जहां से पार्टी में नंबर-2 मनीष सिसौदिया एमएलए हैं। मुझे संदेह है कि अभी तक वह हालात का जायज़ा लेने पहुंचे होंगे। राजू धिंगान के तो ख़ैर कहने की क्या।
हिंसा की वजह मामूली है लेकिन इसके बाद फैली अफवाह सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बना चुकी है। दोनों कम्युनिटी से 60 लोगों की गिरफ्तारी हुई है और दर्जनों घायल हैं। कामकाज पूरी तरह ठप है। दुकानें बंद हैं और कुछ में लूटपाट हुई हैा गलियों में ईंट और शराब की बोतलों के टुकड़े फैले हुए हैं। छतों पर ईंट इकट्ठा हैं और दहशत के मारे लोग घरों में दुबके हैं। खासकर मुसलमान जो मौका मिलते ही घर छोड़कर अपने रिश्तेदारों के घर पहुंच रहे हैं। प्रभावित हिस्सों में ब्लॉक नंबर 15, 16, 20, 26, 27, 28, 35, 36 हैं। झगड़ा ब्लॉक नंबर 20 से शुरू हुआ।
नवरात्र के मौके पर ब्लॉक संख्या 20 के हनुमान चौक पर दुर्गा की मूर्ति एक टेंपररी पंडाल में बिठाई गई और यही से हिंदूओं-मुसलमानों में टकराव शुरू हुआ। आबादी के लिहाज से ब्लॉक नंबर 20 में मुसलमानों की तादाद ज्यादा है। इस ब्लॉक में रहने वाले मोहम्मद अबरार के मुताबिक 38 सालों में पहली बार यहां पंडाल लगाया गया है। हमें इसपर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन तनाव की वजह से मैं और मेरा परिवार दहशत में है। पंडाल जहां बिठाया गया है, ब्लॉक के लोग वहां अभी तक कूड़ा फेंका करते थे। मोहल्ले के लड़के इसी चौक पर खड़े होकर शराब भी पिया करते थे लेकिन पंडाल लगाने के लिए चौक की सफाई की गई और लड़कों को यहां शराब पीने से मना किया गया। शराब पीने के बाद लड़कों के बीच हुई आपसी नोकझोंक को सांप्रदायिक रंग दिया गया।
दिवाली की शाम 7 बजे आरती के दौरान भी यहां कुछ लड़के शराब पी रहे थे, फिर झगड़ा होने पर फौरन अफवाहों का बाज़ार गर्म कर दिया गया क्योंकि झगड़ने वाले लड़के अलग-अलग मज़हब के थे। सांप्रदायिक हिंसा के लिए इतना काफ़ी था। इसके बाद त्रिलोकपुरी की आबोहवा में तरह-तरह की कहानियां तैरने लगीं। मसलन- मुसलमानों ने पंडाल हटाने की कोशिश की, मूर्ति नाली में फेंक दी, उसपर पेशाब कर दिया, दानपत्र लूटकर भाग गए वगैरह-वगैरह। इन अफवाहों की वजह से महज दो घंटे के भीतर इलाके के कई ब्लॉक्स में पत्थरबाज़ी शुरू हो गई। हालात काबू करने मौके पर पहुंची त्रिलोकपुरी पुलिस के एडिशनल एसएचओ समेत दो पुलिसवाले इंजर्ड भी हुए। अगली सुबह यानी 25 अक्टूबर को इंजर्ड होने वालों की तादाद 14 हो गई जिसमें 13 पुलिसवाले हैं। हालांकि यह सरकारी आंकड़ा है। घालयों की तादाद ज़्यादा है। 60 लोग फिलहाल अरेस्ट हैं। पूरा इलाका छावनी में तब्दील है। पूरे डिस्ट्रिक्ट की पुलिस और आला अफसर इलाके में कैंप किए हुए हैं। गलियों में पुलिस मार्च जारी है। दोनों कम्युनिटी के ज़्यादातर लोग हिंसा की सही वजह भी जानते नहीं, बस पत्थरबाज़़ी में शामिल हैं। कुछ अपनी-अपनी गलियों में बैठकर यह तमाशा ख़त्म होने के इंतज़ार में हैं ताकि वे काम पर लौट सकें।
इन इलाकों में घूमते हुए मैं ब्लॉक नंबर 28 के मुहाने पर पहुंचा। सारी दुकानें बंद थीं और सड़क ईंट और कांच की बोतलों से अटी पड़ी थी। यहां एक दुकान की शटर से पीठ सटाए एक अधेड़ उम्र की औरत बैठी थी। हुलिए पागलों जैसा था। उलझे बाल, मैली शक्ल, ढली सूरत और सूखे होंठ। शक्ल से भूखी जान पड़ती थी। घंटों से बंद दुकानों की वजह से उसे खाना कुछ खाने को नहीं मिला था। मुझे देखकर छत की तरफ इशारा करती हुई बोली कि ज़रा ऊपर से किसी को बुला दो। वह कुछ खाने के लिए मांग रही थी। उसने अपना नाम बिमल बताया। मैंने पूछा कि ये सब क्या हो रहा है? बोली सब काम पर हैं। जाने यह कौन-सा काम है, उनका ख़ुदा बेहतर जाने। मैं आगे बढ़ गया जहां एक भीड़ गुस्से और बदले की आग में तप रही थी जिनके हाथों में त्रिशूल थमाने के लिए बजरंग दल समेत कई हिंदूवादी संगठन एक्टिव हो गए हैं।
शाहनवाज़ मलिक

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