Subject: अब आरएसएस का विभाजनकारी एजेंडा घोषित है - हंसल मेहता (प्रेस विज्ञप्ति)
अब आरएसएस का विभाजनकारी एजेंडा घोषित है - हंसल मेहता
06-09-2014, मुंबई।
फिल्म
निर्देशक हंसल मेहता ने एक विस्तृत साक्षात्कार में मौजूदा सरकार के सत्ता
में आने के बाद से आरएसएस और उनके अनुषांगिक संगठनों के क्रियाकलापों और
बयानों पर चिंता जताते हुए कहा है कि अपनी स्थापना की एक सदी पूरी करने जा
रहे राष्ट्रीय स्वय़ंसेवक संघ का साम्प्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडा अब
घोषित रूप से सामने है। इस साक्षात्कार के साथ ही कम्युनलिज़्म कॉम्बैट और www.hillele.org
के साझा प्रयासों के फलस्वरूप धर्मनिरपेक्षता के प्रसार और साम्प्रदायिक
ताकतों का मुक़ाबला करने के लिए एक यू ट्यूब चैनल और मशहूर हस्तियों के
साक्षात्कार के सिलसिले की पहली कड़ी सार्वजनिक हो गई।
सामाजिक
कार्यकर्त्री तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा लिए गए इस साक्षात्कार में दिल पर मत
ले यार मं विस्थापितों और शाहिद में साम्प्रदायिकता-अल्पसंख्यकों के
हालातों की कहानी कहने वाले फिल्म निर्दशक हंसल मेहता ने धार्मिक कट्टरपंथ
और विभाजन की राजनीति स लकर फिल्मों और पाक कला तक पर सवालों का बेबाकी से
जवाब दिया।
हंसल मेहता अपनी फिल्म शाहिद के लिए सर्वश्रेष्ठ
निर्देशन का राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुके हैं। हंसल मेहता ने
साक्षात्कार में यह भी शंका जताई कि नई सरकार आने के बाद उनकी फिल्म शाहिद
को अल्पसंख्यकों पर होने वाले अत्याचार पर बनी होने के कारण राष्ट्रीय
फिल्म महोत्सव की उद्घाटन फिल्म के तौर पर आखिरी वक़्त में हटा दिया गया।
हंसल मेहता ने आरएसएस की राजनीति को विभाजनकारी बताते हुए कहा कि इसके
खिलाफ लड़ने और बोलने के अपने ख़तरे हैं लेकिन ये ख़तरे हर वक़्त मं रहे
हैं।
हंसल मेहता ने पुरानी सरकारों पर भी निशाना साधा और कहा कि
सिर्फ अभी ही नहीं, पहले भी आपातकाल जैसे विषयों पर गंभीर और सच्ची
फिल्में बनाना असंभव रहा है, जबकि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी ये आसान
है। समकालीन और पुराने सिनेमा की तुलना करते हुए मेहता ने कहा कि पहले 50
के दशक की फिल्मों में ज़रूरी मुद्दों को ज़्यादा गंभीरता से उठाया जाता
था। विस्थापन, जातिवाद, महिलाओं की स्थिति और साम्प्रदायिकता पर 50 के दशक
की फिल्में सबसे ज़्यादा संवेदनशील और गंभीर हैं, जबकि 70 के दशक से धर्म
से लेकर सामाजिक मुद्दों तक को भुना कर फिल्में हिट करवाने की जुगत चालू हो
गई।
हंसल मेहता ने अपने पाक कला के शौक पर भी बात की और कहा कि
वो इस वक्त भी कुकरी के शौकीन हैं और अवधी व्यंजनों पर काम कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि 90 के दशक से 2000 तक लोकप्रिय शेफ संजीव कपूर द्वारा संचालित
कुकरी शो खाना ख़ज़ाना भी हंसल ही बनाते थे।
हंसल मेहता ने साफ
किया कि वो आगे भी शाहिद जैसी फिल्में बनाते रहेंगे और असली कहानियों के
सामने आते ही वो उन पर फिल्म बनाएंगे, वो चाहें हास्य-व्यंग्य हो या फिर
सीधी सामाजिक कहानियां।
हंसल का ये साक्षात्कार कम्युनलिज़्म
कॉम्बेट और हिलेले डॉट कॉम की साक्षात्कार श्रृंखला का पहला साक्षात्कार
है, जिसमें आगे कई फिल्मी अभिनेता, निर्देशक, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ताओं
और साहित्यकारों के साक्षात्कार शामिल रहेंगे, जो इनके यूट्यूब चैनल
Hillele TV (https://www.youtube.com/ channel/UC3G7YYiSQ65t2AilCtw- anw) पर जारी और उपलब्ध रहेंगे। हालिया साक्षात्कार को देखने के लिए आप सीधे http://youtu.be/1HKbUh- g5Gk पर जा सकते हैं।
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